जितना भगतसिंह ईमानदार थे ठीक उतने ही गाँधी भी ईमानदार थे।
‘आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता-फिरता था’
11 मार्च 1930 को 78 साथियों के साथ गांधी साबरमती आश्रम से दांडी के लिए 240 मील की पैदल यात्रा पर चल पड़े।
‘आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता-फिरता था’
महात्मा गांधी की कटोरी चम्मच और फोर्क 1 से 2 करोड़